Saturday 30 May 2020

तालाबों से निकली मिट्टी, कुम्हारों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए : अवनीश कुमार अवस्थी

वसुंधरा पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ: 30 मई, उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह एवं सूचना श्री अवनीश कुमार अवस्थी ने आज यहां लोक भवन में प्रेस प्रतिनिधियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के सभी निराश्रित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि जिस निराश्रित व्यक्ति के पास राशन कार्ड न हों, अथवा राशन कार्ड बनने में देरी हो रही है, तो ऐसे व्यक्तियों के खाते में एक हजार रुपये की आर्थिक सहायता ग्राम पंचायत द्वारा उपलब्ध करायी जाए। इसके लिए ग्राम प्रधानों को पंचायतीराज विभाग द्वारा धनराशि दी गयी है। हर हाल में यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रदेश में कोई व्यक्ति भूखा न रहे। उन्होंने कहा है कि किसी निराश्रित व्यक्ति के गम्भीर रूप से बीमार होने की दशा में, यदि उसके पास आयुष्मान भारत योजना अथवा मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना का कार्ड नहीं है, तो उसे तात्कालिक मदद के तौर पर 02 हजार रुपए की आर्थिक सहायता दी जाए। ऐसे निराश्रितों के समुचित उपचार की व्यवस्था भी की जाए। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि किसी निराश्रित व्यक्ति की मृत्यु होने पर उसके परिवार को अन्तिम संस्कार के लिए 05 हजार रुपए की आर्थिक मदद दी जाए।
श्री अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने निर्देश दिए हैं कि प्रदेश के बाॅर्डर क्षेत्रों में कामगारों/श्रमिकों के लिए भोजन एवं पेयजल की व्यवस्था प्रभावी रूप से संचालित होती रहे। उन्होंने कहा है कि इसी प्रकार प्रदेश से विभिन्न राज्यों को जाने वाले कामगारों/श्रमिकों के लिए भी भोजन-पानी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। प्रदेश आने वाले कामगारों/श्रमिकों को क्वारंटीन सेन्टर ले जाया जाए। वहां मेडिकल स्क्रीनिंग में स्वस्थ पाए गए कामगारों/श्रमिकों को राशन किट उपलब्ध कराते हुए होम क्वारंटीन के लिए घर भेजा जाए तथा अस्वस्थ लोगों के उपचार की व्यवस्था की जाए। होम क्वारंटीन के दौरान कामगारों/श्रमिकों को एक हजार रुपए का भरण-पोषण भत्ता भी प्रदान किया जाए। उन्होंने क्वारंटीन सेन्टर तथा कम्युनिटी किचन व्यवस्था को प्रभावी ढंग से संचालित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि निगरानी समितियां के सक्रिय रहने से संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है, इसलिए निगरानी समितियों के सदस्यों से नियमित संवाद कायम रखते हुए इनके द्वारा किए जा रहे सर्विलांस कार्य का फीडबैक प्राप्त किया जाए। लाॅकडाउन को सफल बनाए रखने के लिए पुलिस द्वारा लगातार पेट्रोलिंग की जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि कहीं भी भीड़ एकत्र न होने पाए। उन्होंने सप्लाई चेन व्यवस्था के सुचारु संचालन के निर्देश भी दिए।
श्री अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि समस्त जिलाधिकारी तथा मुख्य चिकित्सा अधिकारी नियमित तौर पर निरीक्षण करते हुए यह सुनिश्चित करें कि सभी कोविड अस्पताल सुचारु रूप से संचालित हों। अन्य गम्भीर रोगों के उपचार के लिए नान कोविड अस्पताल में भी इलाज के प्रबन्ध किए जाएं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि कोरोना पाॅजिटिव व्यक्ति हर हाल में क्वारंटीन सेन्टर अथवा कोविड अस्पताल में ही रहे। टेस्टिंग क्षमता में सतत् वृद्धि का कार्य जारी रखा जाए। उन्होंने कहा कि अगले 2-3 दिन में टेस्टिंग क्षमता बढ़कर 10 हजार हो जाएगी। उन्होंने कहा है कि 01 जून, 2020 से खाद्यान्न वितरण अभियान का अगला चरण प्रारम्भ हो रहा है, इसके लिए सभी व्यवस्थाएं समय से पूरी कर ली जाएं। खाद्यान्न वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्ण पालन कराया जाए। यह भी सुनिश्चित किया जाए कि घटतौली अथवा किसी अन्य प्रकार की अव्यवस्था न होने पाए। गौ-आश्रय स्थलों के लिए अब तक 3,133 भूसा बैंक की स्थापना का संज्ञान लेते हुए भूसा बैंक के स्थापना कार्य को और तेजी से संचालित करने के निर्देश दिए हैं।
श्री अवस्थी ने बताया कि मुख्यमंत्री जी ने कहा है कि आकाशीय बिजली की घटनाओं से होने वाली जनहानि को रोकने के लिए तकनीक का उपयोग किया जाए। खराब मौसम का पूर्वानुमान होने पर समय से एलर्ट जारी करने से जनहानि को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि टिड्डी दल से बचने के लिए कृषि विभाग द्वारा कीटनाशक की व्यवस्था की गयी है। उन्होंने कीटनाशक रासायनों के नियमित छिड़काव की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा है कि बरसात के मौसम से पूर्व तालाबों से मिट्टी की खुदाई का कार्य कराया जाए। इस कार्य में मनरेगा श्रमिकों का उपयोग किया जाए। साथ ही, तालाबों से निकली मिट्टी, माटी कला बोर्ड से समन्वय करते हुए, कुम्हारों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जाए। इससे जहां एक ओर तालाबों की जल संचयन क्षमता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर मनरेगा श्रमिकों को रोजगार भी मिलेगा। साथ ही, कुम्हारों को निःशुल्क मिट्टी मिलने से उन्हें अपने उत्पाद की लागत कम करने का मौका प्राप्त होगा। उन्होंने वृक्षारोपण अभियान प्रारम्भ करने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में रोपित होने वाले पौधों के लिए गड्ढे खोदने का कार्य मनरेगा श्रमिकों से कराया जाए।
प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य श्री अमित मोहन प्रसाद ने बताया कि प्रदेश के 75 जनपदों में 2900 कोरोना के मामले एक्टिव हैं। उन्होंने बताया कि अब तक 4462 मरीज पूरी तरह से उपचारित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश में कोरोना से उपचारित मरीजों की दर 59 प्रतिशत है। उन्होंने बताया कि कल 8659 सैम्पल टेस्ट किये गये। कल 722 पूल टेस्ट किये गये, जिसमें से 667 पूल 5-5 सैम्पल के तथा 55 पूल 10-10 सैम्पल के थे। उन्होंने बताया कि 12 आॅटोमेटिक आर0एन0ए0 एक्स्ट्रैक्टर आ गये हैं, जिससे टेस्टिंग कैपेसिटी में सुधार होगा। उन्होंने बताया कि आरोग्य सेतु अलर्ट जनरेट होने पर लोगों को कन्ट्रोल रूम से काॅल किया जा रहा है। अब तक कुल 44,079 लोगों को फोन कर उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली गयी है। उन्होंने बताया कि डबल स्लाॅट की 20 ट्रूनेट मशीन आ गई हैं जिन्हे 20 जनपदों में भेजा जा रहा है। अगले 3-4 दिन में शेष जनपदों हेतु 55 ट्रूनेट मशीन और आ जाएंगी। इस प्रकार समस्त जनपदों में ट्रूनेट मशीन की उपलब्धता सुनिश्चित करा दी जाएगी।
श्री प्रसाद ने बताया कि आशा वर्कर्स द्वारा कामगारों/श्रमिकों के घर पर जाकर सम्पर्क कर उनके लक्षणों का परीक्षण कर रही हैं, जिसके आधार पर आवश्यकतानुसार कामगारों/श्रमिकों का सैम्पल इकट्ठा कर जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि आशा वर्कर्स द्वारा अब तक 11,11,869 कामगारों/श्रमिकों से उनके घर पर जाकर सम्पर्क किया गया, इनमें 1022 लोगों में कोरोना जैसेे लक्षण पाये गये। उन्होंने बताया कि ग्राम एवं मोहल्ला निगरानी समितियों के द्वारा निगरानी का कार्य सक्रियता से किया जा रहा है। अब तक 13,223 क्षेत्रों में 98,247 सर्विलांस टीम द्वारा 76,80,272 घरों के 3,87,14,819 लोगों का सर्वेक्षण किया गया।

Monday 25 May 2020

नांदेड़ (महाराष्ट्र) में लिंगायत निर्वाणी मठ के

33 वर्षीय मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य महाराज (फाईल फोटो)
मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य 
सहित दो लोगों की निर्मम हत्या ?
(वसुंधरा पोस्ट टीम)
मृतक अस्पताल में 
लखनऊ । महाराष्ट्र के पालघर मे हुए दो नागा साधुओं की निर्मम हत्या की आंच ठंडी अभी भी नहीं हुई थी कि नांदेड़ जिले के उमरी तहसील के नागठना गाँव स्थित  लिंगायत समुदाय के निर्वाणी मठ में ही मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य सहित दो लोगों की निर्मम हत्या से एक बार फिर उद्धव सरकार के गले की फांस बन गई। हत्यारा और कोई नहीं उसी मठा में नियमित आने-जाने वाला व्यक्ति ही निकाला। लेकिन हत्या के कारणों का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है । वहीं यह बात भी किसी के गले से नीचे नहीं उतार रही है कि आखिर हत्यारा साईं नाथ लंगोटे मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य की हत्या के बाद उनके शव को कार में क्यों ले जाना चाह रहा था। इसी तरह के बहुत से प्रश्न है ,जिनके तह में जाने के बाद ही इस हत्या के रहस्य से पर्दा उठ पाएगा ।
तानुर एस आई राजन्ना के साथ हत्यारा लंगोटे 
नांदेड़ से मिली खबरों के मुताबिक शनि-रविवार की आधी रात में कुछ लोग मठ में प्रवेश किए।  नादेड़ पुलिस अधीक्षक के मुताबिक मठाधिपति व उनके सहयोगी भगवान शिंदे की हत्या लूट-पाट के कारण की गई है । जबकि स्थानीय लोग  इस बात से जरा भी इत्फ़ाक नहीं रखते हैं। उल्लेखनीय है कि मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य भारतीय जनता पार्टी के समर्थक बताए जाते हें,जब कि उमरी का यह इलाका प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक राव चौहान के  विधान सभा क्षेत्र में आता है। शिवाचार्य महाराज ने पिछले चुनाव में चौहान का समर्थन न कर भजापा का साथ दिया था। बताते हैं कि इसी बात को लेकर चौहान  उनसे कुछ नाराज़ भी चल रहे थे ।  वहीं इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि अचानक रविवार की सुबह ही अचानक चौहान की तबीयत बिगड़ती है ,और दिन ढलते ही उन्हें कोरोना संक्रमित बता दिया जाता है । सोमवार की सुबह एंबुलेंस से मुंबई के बीचकैंडी अस्पताल भी भेज दिया जाता है। बस शक की सुई घूम फिर कर यहीं पर अटक जाती है। बताते हैं कि हत्यारा  साईं नाथ लंगोटे ने मठाधिपति शिवाचार्य की हत्या के बाद वहीं के एक अन्य साधू रुद्र पशुपति महराज को भी मर दिया । जिनका शव मठ से थोड़ी दूर पर मिला बताया जाता है । बताते हैं कि लंगोटे का मठ में बराबर आना जाना रहता था। शनिवार की देर रात वह मठ में आया, मठ का गेट किसने खोला यह किसी को पता नहीं, क्यों कि गेट के सही सलामत है ,गेट को अंदर से ही खोला गया था। खबरों  के मुताबिक हत्यारे ने  मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य  का गला दबा कर निर्मम हत्या कर दी । जिसको लंगोटे के साथी भगवान शिंदे ने देख लिया होगा,जिसके चलते उसने उनकी भी हत्या कर दी। हत्या के बाद हत्यारे ने मठाधिपति शिवाचार्य के शव को उन्हीं के कार में क्यों ले जाना चाहता था,यह एक गंभीर प्रश्न है ? जब वह कार  से मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य के शव को लेकर निकलना चाहा तो गेट पर उसकी कार कैसे फांस गई,जिसकी आवाज़ सुनकर मठ में रह रहे लोगों की नींद टूट गई । जब कि उसके पहले क्या किसी को मठ के भीतर की कोई हलचल नहीं पता चली । चलिये यहाँ तक ठीक है ,मान भी ली जाए इस बात को । जब मठ में हलचल हुई तो वह कार छोड़ कर भागा , खबरों के मुताबिक वह पैदल ही भागा ,थोड़ी दूर पर किसी की मोटरसाइकिल को लेकर चलता बना । लंगोटे वहाँ से भागा तो सीधे तेलंगाना के निर्मल जिले के तानुर तहसील एलवी गाँव जा पहुंचा। इधर मठाधिपति बाल तपस्वी शिवाचार्य जी की हत्या के बाद पूरे जिले में तनाव फैल गया। घटना की जानकारी मिलते ही मठ में पुलिस भी पहुँच गई ,और हत्यारे की तलाश ज़ोरों पर शुरू हो गई ।
धर्माबाद पुलिस मीडिया के सामने हत्यारे को दिखते हुए 
महाराष्ट्र पुलिस ने तुरन जिले से लगने वाली सभी सीमाओं को सील कर दिया और सभी पुलिस स्टेशनो को हत्यारे के बारे में जानकारी भी भेज दी। सुबह होते-होते सभी पुलिस स्टेशन सतर्क हो गए। मामला पूर्व मुख्यमंत्री के गृह जिले का जो था। इसी बीच तेलंगाना पुलिस को भी इतला दे दी गई । तानुर पुलिस के सब इंस्पेक्टर राजन्ना किसी कम से एलवी गाँव पहुंचे तो उन्हे वहाँ पर महाराष्ट्र की एक मोटर साइकिल ( एम एच 26 बी एस 4530 दिखाई दी ,जो एक मंदिर के सामने खड़ी थी। उन्होने ने तुरंत उमरी ठाणे से मिली गाड़ी नंबर को चेक किया तो वही गाड़ी निकली । जिस पर राजन्ना ने कारवाई करते हुए धर्मबाद पुलिस के हवाले कर दिया। मामले की जांच के साथ-साथ लंगोटे से पूछताछ जारी है । यहाँ यह जानना जरूरी है कि महाराष्ट्र ,एवं तेलंगाना राज्य की सीमाओं से कर्नाटक की सीमाएं लगती हैं , कर्नाटक की यह वे सीमाएं हैं जहां पर लिंगायत समाज एक बड़ी संख्या में निवास करता है। जिनके मतों से यदि कर्नाटक में सरकार बनती-गिरती है तो महाराष्ट्र एवं तेलंगाना के इन क्षेत्रो के विधायकों एवं सांसदों का भविष्य बनाता बिगड़ता भी है।
(साथ में नांदेड़ से रविंदर सिंह मोदी ,निजामाबाद से एस विट्ठल एवं तानुर से अब्दुल रहमान )



Friday 15 May 2020

भक्तों के बिना खुले



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"भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट" 
प्रणाम न्यूज ब्यूरो 
"स्कंद पुराण के अनुसार, आदिगुरू शंकराचार्य को नारद कुंड से भगवान् विष्णु की मूर्ति प्राप्त हुई थी और फिर 8 वीं शताब्दी ए.डी. में उस मूर्ति को उन्होंने मंदिर में स्थापित किया। स्कंद पुराण में बद्रीनाथ धाम के बारे में उल्लेख किया गया है की: “स्वर्ग में, पृथ्वी पर और नरक में कई पवित्र मंदिर हैं; लेकिन बद्रीनाथ की तरह कोई मंदिर नहीं है।"
     उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट एक लंबे शीतावकाश के बाद शुक्रवार तड़के खोल दिए गए. इससे पहले बद्रीनाथ मंदिर को फूलों से भव्य तरीके से सजाया गया. लॉकडाउन के चलते इस मौके पर बद्रीनाथ में कोई मौजूद नहीं है. महज गिनती के ही लोग मंदिर में देखे गए. पूरे विधि-विधान के साथ शुक्रवार 4.30 बजे मंदिर के कपाट खोले गए.
बद्रीनाथ में आज होने वाला विष्णु सहस्त्रनाम पाठ देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की थी . देश को कोरोना से मुक्ति की कामना की गई . कपाट खुलने के समय मुख्य पुजारी रावल, धर्माधिकारी भूवन चन्द्र उनियाल, राजगुरु सहित केवल कुछ लोग ही शामिल हो सके. इस दौरान मास्क के साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया. इससे पूर्व पूरे मंदिर परिसर को सैनिटाइज किया गया. कपाट खुलने से पूर्व गर्भ गृह से माता लक्ष्मी को लक्ष्मी मंदिर में स्थापित किया गया और कुबेर जी व उद्धव जी की चल विग्रह मूर्ति को गर्भ गृह में स्थापित किया गया.
   बद्रीनाथ के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा का विधिवत आरंभ हो गया है जिसे इस भू-लोक का आठवां बैकुंठ धाम भी कहा जाता है, जहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. करोड़ों हिंदुओं के आस्था के प्रतीक भगवान बद्री विशाल के कपाट शुक्रवार सुबह 4 बजाकर 30 मिनट पर ब्रह्ममुहूर्त में धार्मिक परंपरानुसार एक बार फिर से ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं.
भगवान बद्रीनाथ के शुक्रवार के दर्शनों में मुख्यत: अखंड ज्योति और भगवान बद्रीनाथ के निर्वाण दर्शन होते हैं. इसे देखने का आज का मुख्य महत्व होता है. शुक्रवार को पूरे दिन मंदिर खुला रहेगा, लेकिन सुबह में श्रद्धालु पूरी तरह से नदारद रहे क्योंकि इस समय लॉकडाउन चल रहा है. बद्रीनाथ धाम के कपाट तो खुल गए मगर श्रद्धालुओं को धाम तक आने की अनुमति नहीं है.
सुबह सबसे पहले कपाट खुलते ही भगवान बद्री विशाल की मूर्ति से घृत कंबल को हटाया गया. कपाट बंद होते समय मूर्ति पर घी का लेप और माणा गांव की कुंवारी कन्याओं के द्वारा बनाई गई कंबल से भगवान को ढका जाता है और कपाट खुलने पर हटाया जाता है. इसके बाद मां लक्ष्मी बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह से बहार आईं जिसके बाद भगवान बद्रीनाथ जी के बड़े भाई उद्धव जी और कुबेर जी का बद्रीनाथ मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश हुआ. इसी के साथ भगवान बद्रीनाथ के दर्शन शुरू हो गए.
कपाट बंद की अवधि में छह माह से जल रही अखंड ज्योति के दर्शन किए जाते हैं. हमेशा से पहले दिन अखंड ज्योति के दर्शनों के लिए भारी संख्‍या में श्रद्धालु धाम पहुंचते हैं. हालांकि इस बार लॉकडाउन के चलते श्रद्धालु नहीं पहुंच पाए मगर अखंड ज्योति 6 माह कपाट बंद के बाद यहां पर जलती रही. कपाट खुलने पर ज्योति को अखंड रखा जाता है. कपाट बंद होने के बाद भी यह जलती रहती है और कपाट खुलने पर सबसे पहले श्रद्धालुओं को यही दर्शन करने को मिलता है.
पिछले साल कपाट खुलने के बाद पहले दिल लगभग 10,000 श्रद्धालुओं ने मंदिर के दर्शन किए थे. गुरुवार को मंदिर और आसपास के इलाके को कई कुंटल फूलों से सजाया गया.
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बद्रीनाथ धाम का इतिहास एवं 
उससे जुडी पौराणिक कहानियां
अलकनंदा नदी के किनारे बद्रीनाथ धाम में स्थित है बद्रीनाथ (बद्रीनारायण) मंदिर | प्रमुख चारो धामों में से एक बद्रीविशाल के इस मंदिर में भगवान विष्णु के बद्रीनाथ रूप की पूजा होती है | यह पंच बद्री में से एक बद्री भी है |बद्रीनाथ मंदिर समुद्र तल से 3133 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है | बद्रीनाथ भगवान विष्णु की तपस्थली है और यह 2000 वर्षों से एक प्रमुख तीर्थ स्थान रहा है | आठवीं शताब्दी में संत आदि शंकराचार्य ने यहाँ बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण करवाया |बद्रीनाथ मंदिर की कथा
भगवान बद्रीविशाल की चतुर्भुज ध्यानमुद्रा में शालीग्रामशिला मूर्ति की पूजा बद्रीनाथ मंदिर में होती है | आदि पुराणों के अनुसार प्रस्तुर बद्रीविशाल की मूर्ति स्वयं देवताओं ने नारदकुंड से निकालकर यहाँ स्तापित की और पूजा अर्चना और तपस्या की | जब बौद्ध धर्म के अनुयायी इस स्थान पर आये तो उन्होंने इसे बुद्ध की मूर्ति समझ कर इसकी पूजा शुरू कर दी | शंकराचार्य की सनातन धर्म प्रचार यात्रा के दौरान बौद्ध धर्म के अनुयायी तिब्बत जाते हुए इस मूर्ति को अलकनंदा नदी में डाल कर चले गये | आदिगुरू शंकराचार्य ने इस मूर्ति को निकालकर पुनः स्थापित किया और बद्रीनाथ मंदिर का निर्माण करवाया | समय बीतने पर यह मूर्ति पुनः स्थान्तरित हो गयी | रामानुजाचार्य ने पुनः इसे तप्तकुंड से निकालकर इसकी स्थापना की |
बद्रीनाथ धाम का महत्व
चारों धामों में प्रमुख बद्रीनाथ धाम का हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा महत्त्व है | भगवान नर-नारायण विग्रह की पूजा यहाँ होती है | मंदिर में एक अखंड दीप जलता है जो अचल ज्ञानज्योति का प्रतीक है | सभी श्रद्धालु यहाँ स्थित तप्तकुंड में स्नान करने के बाद भगवान बद्रीविशाल के दर्शन करते हैं | मंदिर में मिश्री, गिरी का गोला, चने की कच्ची दाल और वनतुलसी की माला आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है |
भगवान विष्णु का नाम बद्रीनाथ कैसे पड़ा ?
लोक कथाओं के अनुसार एक बार भगवान विष्णु ध्यान योग के लिए स्थान खोजते हुए अलकनंदा नदी के तट पर पहुंचे | भगवान शिव की इस केदार भूमि में स्थान पाने के लिए बाल रूप में अवतरित हुए | वह स्थान जहाँ भगवान अवतरित हुए उसे अब चरणपादुका स्थल के नाम से जाना जाता है |
बाल रूप में अवतरण कर भगवान विष्णु जोर जोर से क्रंदन करने लगे | उनके रोने की आवाज सुनकर भगवन शिव और माता पार्वती उनके पास आकर उनसे रोने का कारण पूछा | तब बालक रुपी भगवान विष्णु ने केदार भूमि में उस स्थान को अपने ध्यानयोग हेत मांग लिया | इसके पश्चात जब भगवान विष्णु तपस्या में लीन थे तब बहुत अधिक हिमपात होने लगा | भगवान पुरे बर्फ से ढक गये | तब माता लक्ष्मी ने भगवान के समीप खड़े होकर एक बेर (बद्री) के वृक्ष का रूप ले लिया | बेर वृक्ष रुपी माता ने लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को धुप, वर्षा और बर्फ से बचाए रखा | वर्षो तक भगवन और माता की ये तपस्या चलती रही | तप पूर्ण करने पर जब भगवान विष्णु ने बर्फ से ढकी माता देखि तो कहा “हे देवी ! आपने भी मेरे बराबर तप किया है | आज से ये स्थान बद्री के नाथ यानी बद्रीनाथ के नाम से जाना जायेगा और इस स्थान पर हम दोनों की पूजा होगी |गवान विष्णु के तप स्थल को आज तप्तकुंड कहते हैं और तप के प्रभाव से कुंड का पानी हमेशा गरम रहता है |
बद्रीनाथ मंदिर परिसर
बद्रीनाथ मंदिर परिसर बहुत ही आकर्षक और सुन्दर है | समस्त मंदिर तीन भागों में विभाजित है | गर्भगृह, दर्शनमंडप और सभामंडप | परिसर में कुल १५ मूर्तियाँ हैं जिसमे प्रमुख भगवान बद्रीविशाल की 1 मीटर काले पत्थर की प्रतिमा मंदिर में विराजमान है | उनके बगल में कुबेर लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियाँ स्थापित हैं |
बद्रीनाथ मंदिर खुलने और बंद होने का दिन
बद्रीनाथ मंदिर प्रत्येक वर्ष अप्रैल – मई माह में श्रधालुओं के लिए खुलता है और अक्टूबर – नवम्बर में शीतकाल के लिए बंद हो जाता है | बद्रीनाथ मंदिर के खुलने का दिन पुजारी बसंत पंचमी को पंचांग गणना के बाद बताते हैं | हर वर्ष अक्षय तृतीय के बाद ही बद्रीनाथ मंदिर खुलता है | बद्रीनाथ मंदिर के बंद होने की तिथि विजयदशमी को निर्धारित की जाती है |
बद्रीनाथ मंदिर सुबह 7 बजे से सायं काल 7 बजे तक श्रधालुओं के लिए खुलता है | मंदिर में मुख्या पुजारी दक्षिण भारत के केरल राज्य का होता है |
बद्रीनाथ मंदिर के समीप दर्शनीय स्थल
तप्त-कुंड, ब्रह्म कपाल, शेषनेत्र, चरणपादुका, माता मूर्ति मंदिर, माणा गाँव, वेदव्यास गुफा, गणेश गुफा, भीम पुल, वसुधारा, लक्ष्मी वन, संतोपंथ, अलकापुरी, सरस्वती नदी |

हमारे मंदिर


ये हैं भारत के सबसे अमीर मंदिर

पदनाभस्वामी मंदिर
हाल ही में केरल राज्य की राजधानी तिरुअनंतपुरम स्थित श्री स्वामी पदनाभस्वामी मंदिर के तहखानो से निकले खजानों से यह बात सिद्ध हो गई की यह मंदिर दुनिया का सबसे अमीर मंदिर है,जबकि मंदिर का एक तहखाना अभी खोला जाना बाकी है |अबतक मंदिर से लगभग एक लाख करोड़ की संपत्ति मिल चुकी है| जिसमे सोने का मुकुट,१७ किलो सोने के सिक्के ,१८ फुट लम्बा 2 .5 किलो वजन का एक हर ,सोने की रस्सियाँ ,हीरों जवाहरात से भारी बोरियां ,प्राचीन जेवरातों के टुकडे आदि शामिल हैं|
श्री तिरुमाला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर
आन्ध्र प्रदेश के तिरुपति स्थित श्री तिरुमाला तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर को देश का सबसे अमीर मंदिर माना जाता रहा है| जिसकी वार्षिक आय 650 करोड़ थी अब वह दूसरे स्थान पार आ गया है|बताते हैं कि मंदिर का 3000 से अधिक किलोग्राम सोना विभिन्न बैंकों में फिक्स्ड डिपाजिट के रूप में रखा है , इसके साथ ही 1000 करोड़ रुपये जमा हैं| यही नहीं मंदिर ट्रस्ट हर साल तीन सौ करोंड रुपये नकद एवम तीन सौ पचास किलो सोना तथा पांच सौ किलो चांदी दान के रूप प्राप्त करती है|

श्री साईं संस्थान शिरडी
महाराष्ट्र के अहमद नगर स्थित श्री साईं संस्थान शिरडीमंदिर भी देश के अमीर मंदिरों मे से एक है |जिसके पास लगभग बत्तीस करोड़ मूल्य के आभूषण है| वहीँ मंदिर के दस्तावेजों के मुताबिक मंदिर प्रसाशन द्वारा बत्तीस करोड़ की लगत से विभिन्न सामाजिक योजनायें चलाई जा रही हैं | मंदिर ट्रस्ट के पास 24.41 करोड़ मूल्य का सोना, 3.26 करोड़ की चांदी के साथ-साथ 6 . 12 करोड़ मूल्य के चांदी के सिक्के हैं| बताते हैं कि 1.288 करोड़ के सोनेकेसिक्के एवम 1.123 करोड़ कीमत के लाकेट हैं| कहा जाता हे कि मंदिर की वार्षिक आय 450 करोड है|
माता वैष्णव देवी

जम्मू कश्मीर स्थित माता वैष्णव देवी मंदिर में तिरुपति के बाद सबसे अधिक भक्त दर्शन करने जाते है| माता वैष्णव देवीमंदिर की वार्षिक आय पांच सौ करोड़ बताई जाती है|जिसका संचालन श्री माता वैष्णव देवी श्राईन बोर्ड करता है| कहते है कि माता वैष्णव देवी मंदिर की प्रति दिन की आय लगभग चार सौ पचास करोड़ की है|   
श्री सिद्धिविनायक मंदिर
मुम्बई के बीच स्थित महाराष्ट्र का दूसरा सबसे आमिर मंदिर श्री सिद्धिविनायक मंदिर की वार्षिक आय 46 करोड़ है|जबकि 125 करोड़ रुपये का फिक्स डिपाजिट है| दान के लिए यह मंदिर सबसे प्रसिद्ध है |मंदिर को हर साल 10 -15 करोड़ रुपये प्राप्त होते हैं| श्री सिद्धिविनायक मंदिर का संचालन गणपति मंदिर ट्रस्ट करता है|मंदिर के दस्तावेजों के मुताबिक मार्च 2009 तक मंदिर के पास 140 करोड़ की संपत्ति थी |

श्री गुरुवायर स्वामी मंदिर
दक्षिण भारत का दूसरा सबसे प्रसिद्ध मंदिर है श्री गुरुवायर स्वामी मंदिर, केरल राज्य में स्थित श्री गुरुवायर स्वामी मंदिर भगवान श्री कृष्ण का मंदिर है |जिसका संचालन केरल देवस्वाम बोर्ड द्वारा गठित एक नौ सदस्यीय समिति करती है | मंदिर की वार्षिक आय 2.5 करोड़ के आसपास है | मंदिर के फिक्स डिपाजिट में लगभग 140 करोड़ जमा है |मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर के गर्भ गृह में आयोजित की जाने वाली पूजा की विशेष मांग है| बताते हैं की सुबह से शाम तक की जाने वाली पूजा की शुल्क पचास हजार है |जिसे उदयस्थामाना पूजा के नाम से जाना जाता है | इस पूजा के लिए सन 2049 तक की प्रतीक्षा सूची है |
प्रणाम न्यूज डेस्क

रेड क्रस भेज रही है प्रदेश में चिकत्सीय सामग्री

  लखनऊ, 3 जून ।  गुरुवार को  रेडक्रास के सभापति श्री संजीव मेहरोत्रा , उपसभापति श्री अखिलेन्द्र शाही  महासचिव डा0 हिमाबिन्दु नायक  व  श्री ...