Wednesday 10 June 2020

जी हाँ ,15,00,00,000 रूपए की "चोली"

वसुंधरा पोस्ट डेस्क

ब्रजेलियान माडल ऐड्रियाना लीमा को आप जो ब्रा (भारतीय भाषा में चोली) पहने देख रहे हैं न उसकी कीमत का अंदाज़ा आप सपने में भी नहीं लगा सकते। 29 वर्षीय ब्राज़ील की यह माडल ऐड्रियाना लीमा दुनिया भर के माडलों  में शायद सबसे अधिक  भाग्यशाली  माडल है ,जिसे  इतनी महंगी अधोवस्त्र पहनने का मौका मिला है । इस चोली का कुल वज़न मात्र 142 कैरेट है, जिसमें 60 कैरेट के सफ़ेद हीरों के साथ ही पुखराज एवं नीलम भी पिरोया गया है। इस फेंटासी अधोवस्त्र (चोली) को ब्रैंड पिट और जेनिफर एनिस्ट्न ने तैयार किया है , जो दुनिया भर  में सगाई की अंगूठी बनाने के लिए मशहूर है।इस अधोवस्त्र में तीन हज़ार से अधिक सफ़ेद हीरे (60 कैरेट ) ,हल्के नीले रंग का नीलम और अंडाकार आकार के पुखराज (82 कैरेट) का प्रयोग किया गया है,जिसे 18 कैरेट के सफ़ेद सोने के बारीक तारों से बुना गया है। बताया जाता है की इस अधोवस्त्र (चोली ) को छह सिद्धहस्त कारीगरों ने पंद्रह  सौ घंटे के अथक मेहनत के बाद तैयार किया है। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें लगे हर एक हीरे को कारीगरों ने स्वयं अपने हाथों से तैयार किया है । इस चोली को पहनने के बाद ऐड्रियाना लीमा ने कैसा महसूस किया होगा, यह तो वही बता सकती है। इस चोली की कीमत अंतराष्ट्रीय बाज़ार मैं $2 मिलियन है । जो भारतीय मुद्रा में 15 करोड़ के बराबर है।

Sunday 7 June 2020

9 जून से खुलेगा लखनऊ का नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान

केवल आनलाइन टिकट की होगी सुविधा, 
तीन पालियों में दर्शकों को मिलेगा प्रवेश
लखनऊ:, नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान, लखनऊ को दर्शकों हेतु खोले जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। आगामी 9 जून से लखनऊ जू आगन्तुकों के लिए खोल दिया जायेगा। वर्तमान में केवल आॅनलाइन टिकट की सुविधा उपलब्ध होगी।
यह जानकारी नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान के निदेशक डा0 आर0के0 सिंह द्वारा दी गई। श्री सिंह के अनुसार चिड़ियाघर आने वाले दर्शकों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा। प्रत्येक दर्शक की प्रवेश द्वार पर थर्मल स्कैनिंग की जायेगी तथा स्वस्थ होने पर ही प्रवेश दिया जायेगा। इसके अलावा चिड़ियाघर के प्रवेश द्वार पर फुटवाॅश, हैंडवाॅश तथा सैनेटाइजर का प्रयोग करना अनिवार्य होगा। किसी भी प्रकार का खाद्य पदार्थ, गुटखा, पान, तम्बाकू आदि पूर्णतः प्रतिबन्धित होगा। पकड़े जाने पर कोविड-19 के तहत कार्रवाई की जायेगी।
निदेशक ने बताया कि दर्शकों को चिड़ियाघर के अन्दर सोशल डिस्टेंन्सिंग का पालन करना होगा। जू के अन्दर भीड़ एकत्रित होने वाले स्थान जैसे फूडकोर्ट, कैन्टीन, सोविनियर शाॅप, प्राकृतिक शिक्षण केन्द्र, मछली घर एवं रात्रिचर बाड़ा (नाॅकटर्नल हाउस) नहीं खोले जाएंगे। बाल रेल एवं बैट्री गाड़ी सेवाएं बंद रहेंगी। एक पाॅली में केवल 500 दर्शकों को ही प्रवेश दिया जायेगा। इसके साथ ही 65 वर्ष की आयु से अधिक व्यक्तियों एवं 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों तथा गर्भवती महिलाओं व अस्वस्थ व्यक्तियों को प्रवेश की अनुमति नहीं दी जायेगी।
श्री सिंह ने बताया कि प्राणि उद्यान तीन पालियों में दो-दो घण्टों के लिए खोला जायेगा। प्रथम पाली प्रातः 08ः30 से 10ः30 बजे तक, दूसरी पाली पूर्वाहन 11ः30 बजे से 01ः30 बजे तक तथा तीसरी पाली अपराहन 03ः00 बजे से 05ः00 बजे तक होगी। एक पाली समाप्त होने पर सारे दर्शकों को प्राणि उद्यान परिसर से बाहर जाना होगा। इस बीच उद्यान को पुनः सेनेटाइज करने की प्रक्रिया की जायेगी तत्पश्चात् दूसरी पाली के दर्शकों को प्रवेश दिया जायेगा।

Saturday 6 June 2020

राजस्थान के थानाधिकारी विष्णु दत्त बिश्नोई

आखिर क्यों ईमानदारी फांसी पर झूल गई ?
(डॉo सत्यवान सौरभ, की विवेचनात्मक रिपोर्ट )
राजस्थान के सिंघम कहे जाने वाले थानाधिकारी विष्णु दत्त बिश्नोई का शव उनके सरकारी आवास पर फांसी के फंदे पर लटका मिला जिसके बाद प्रशासन व सियासी जगत में हड़कंप मच गया. प्रदेश की राजनीति और प्रशासन में भूचाल खड़ा हो गया. बिश्नोई पिछले कुछ दिनों से तनाव में थे तथा नौकरी छोड़ना चाहते थे. दरअसल, बिश्नोई की छवि विभाग में एक ईमानदार अफसर की थी. जिसने अपने क्षेत्र में कई तरह के अपराधों पर अंकुश लगाया था. शराब माफिया हो या विभिन्न मादक पदार्थों के तस्कर हो सभी के आंखों की किरकिरी बने बिश्नोई ने क्षेत्र की जनता का दिल जीत लिया था. लेकिन बिश्नोई पर ऐसा कौन सा दबाव आया कि उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ा?
विष्णुदत्त एक तेज तर्रार अफसर थे। पुलिस महकमे में सामाजिक नवाचारों को लेकर उनकी कार्यप्रणाली खासी चर्चाओं में रहती थी। उनकी लोकप्रियता का इसी से पता चलता है कि सोशल मीडिया पर उनके हजारों की संख्या में फॉलोवर थे। महकमे में विष्णुदत्त की एक ईमानदार छवि थी। वे मूल रुप से रायसिंहनगर, हनुमानगढ़ के रहने वाले थे। वर्ष 1997 में पुलिस विभाग में सबइंस्पेक्टर भर्ती हुए थे। उनके चाचा सुभाष विश्नोई भी एडिशनल एसपी रहे है।
डॉसत्यवान सौरभ
विष्णुदत्त विश्नोई बेस्ट पुलिसकर्मियों में से एक थे, यह पुलिस विभाग के लिए एक बड़ा लॉस है. सीआई विष्णुदत्त विश्नोई चूरू के राजगढ़ थाने में एसएचओ थे. उसी दिन वो इलाके में हुई एक हत्या के मामले में देर रात तक वह जांच कर रहे थे, सुसाइड नोट में विश्नोई ने लिखा है कि उनके चारों तरफ इतना दबाव था कि वे इसे झेल नहीं सके. उन्होंने खुद के तनाव में होने की बात कही. वकील को मैसेज भेज कर उन्होंने लिखा कि उन्हें गन्दी राजनीति के भंवर में फंसा दिया गया है. इसी मैसेज में उन्होंने बताया था कि वे सेवा से मुक्त होना चाहते हैं. उन्होंने लिखा था कि थाना भवन के निर्माण में उन पर 3.5 करोड़ रुपए का गबन का आरोप मढ़ा जा रहा है.
विष्णुदत्त विश्नोई के सुसाइड के बाद राजनीति भी गरमा गई है। घटना के बाद वहां पूर्व विधायक मनोज न्यांगली और पूर्व सांसद कस्वां राजगढ़ थाने पहुंचे। वहां धरने पर बैठ गए। स्थानीय लोगों ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, मामले में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ट्वीट कर कहा कि इस घटना ने कांग्रेस सरकार के सिस्टम पर बड़ा सवालिया निशान लगा दिया है।
थानाधिकारी की आत्महत्या एक गम्भीर घटना है और यह हमारी व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रही है। सरकार को इसकी जांच करवा कर तथ्यों का पता लगाना चाहिए कि ऐसे क्या कारण रहे की एक थानाधिकारी को आत्महत्या करनी पड़ी।
सीआई विष्णु दत्त विश्नोई सुसाइड केस के बाद थाने का अधिकतर स्टाफ ट्रांसफर चाहता है. सीआई के सुसाइड के बाद थाने के स्टाफ ने बीकानेर रेंज के आईजी को लैटर लिखा है कि वे भी थाना छोड़ना चाहता हैं, उनका भी ट्रांसफर कर दिया जाए. इस थाने से और शहर के अन्य थानों में लगा दिया जाए. इसमें अधिकतर पुलिस कार्मिकों ने हस्ताक्षर भी किए हैं. हांलाकि इस लैटर के बारे में अफसर मीडिया से कुछ बोल नहीं पाए.
आत्महत्या की घटना से आक्रोशित जनता ने क्षेत्रीय कांग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी. नारेबाजी करने वालों का आरोप था कि थानाधिकारी ने विधायक के दबाव में आकर आत्महत्या की है. वहीं कृष्णा पूनिया ने कहा है कि विश्नोई से 5-7 बार बैठक में ही उनकी मुलाकात हुई थी. विधायक ने बताया कि उन्होंने विश्नोई के बारे में सुन रखा था, लेकिन कभी अकेले में मुलाकात नहीं हुई. विश्नोई के बारे में ये भी कहा जा रहा है कि वो अपने थाने के कुछ पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर किए जाने से नाराज थे. आरोप है कि विधायक पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बात कर ऐसा कराया था. अब तक 13 थानों में रह चुके विश्नोई की आत्महत्या के मामले में एक क्षेत्रीय गैंगस्टर की गैंग का नाम भी सामने आ रहा है, क्योंकि वो जिस मर्डर केस की जांच कर रहे थे, उसके तार इसी गैंग से जुड़े थे.
सीबीआई जांच की मांग-
21 साल से सेवारत विश्नोई वरिष्ठ अधिकारियों के भी चहेते थे. विष्णुदत्त राज्य के शीर्ष 10 एसएचओ में शामिल थे. पुलिसकर्मियों के लिए राजनीतिक, सामाजिक और आपराधिक दबाव आम बात है, जो विभाग में भर्ती के पहले दिन से ही शुरू हो जाता है. उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों के वरिष्ठ अधिकारी सिफारिश करते थे कि अपराध को नियंत्रित करने के लिए उनके इलाके में विष्णुदत्त की पोस्टिंग की जाए. चूरू के राजगढ़ में भी अपराध नियंत्रण के लिए ही विष्णुदत्त की पोस्टिंग की गई थी. वहां उन्होंने अच्छा काम किया था, लेकिन आत्महत्या के पहले कैसी परिस्थितियां बनीं, ये जांच का विषय है. इसकी सच्चाई सीबीआई जांच के बिना सामने नहीं आएगी.
विष्णुदत्त विश्नोई ऐसे अधिकारियों में से थे, जो हमेशा ईमानदारी से काम करते थे. उन्होंने कभी जात-पात जैसी घिनौनी सोच को खुद से मीलों दूर रखा। वे जहां भी रहे लोग उनकी ईमानदार छवि की मिसाल
आज भी देते है। उन्होंने जाति से पहले संबंधित व्यक्ति का जुर्म देखा और उसी लिहाज से उसके साथ न्याय किया। वे अपराध की दुनिया से जुड़े क्रिमनल और सफेदपोश नेताओं को कभी भी भाव नहीं देते थे।
उनका काम केवल लोगों को सुरक्षा व सुरक्षित माहौल देना था और वे हर उस आदमी की कद्र करते थे जो न्याय प्रणाली व पूरे समाज को संगठित करने में यकीन रखते थे। उनकी इसी सोच के कारण हर वर्ग के लोग उनके कायल हो गए थे। पर आज सवाल उनकी ईमानदारी पर है, हमारी भ्रष्ट व्यवस्था और राजनितिक चालों पर है, आखिर क्यों ईमानदारी फांसी पर झूल गई ?

रेड क्रस भेज रही है प्रदेश में चिकत्सीय सामग्री

  लखनऊ, 3 जून ।  गुरुवार को  रेडक्रास के सभापति श्री संजीव मेहरोत्रा , उपसभापति श्री अखिलेन्द्र शाही  महासचिव डा0 हिमाबिन्दु नायक  व  श्री ...